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एक बार की बात है, बहुत समय पहले की है की गावं में बहुत ही सुंदर हीना नामक एक औरत रहती थी। हीना के तीन बच्चे थे, एक बड़ी बेटी और दो छोटे बेटे। हीना एक अच्छी माता थी और अपने बच्चों से सदा एक नई बात सिखाती रहती थी। वो चाहती थी की उनके बच्चे अच्छे से पढ़ाई करें और खुद को बेहतरीन बनाएं।
एक दिन, जब हीना ने अपने बच्चों को बोला की पढ़ाई करते रहो, वरना तुम्हारी हालत एक धोबी के कुत्ते जैसी हो जाएगी जो ना तो घर पर होगा और ना ही घाट पर जाएगा। इस तालीम की कहानी में बच्चों के सुनने की क्षमता की एक महत्वपूर्ण सीख थी। थोड़ा देर बाद, उसी दिन की शाम हो गई। हीना ने अपने छोटे बच्चों के साथ ठंडी रात में सवेरे बिसतर संग पढ़ने का निर्णय लिया। थोड़ी देर चलते ही छोटे बेटो को निद्रा आ गई।
हीना ने सोचा, "वाह, आज मेरे बच्चे बहुत ध्यान से सुन रहे हैं। मुझे यह महसूस हो रहा है कि मेरी कहानी सचमुच इनके मन में सूंदर धुंधले रंगों की तरह जती है।" इसी तरह, धीरे-धीरे सब बच्चे नींद में चले गए। उनकी सुने की क्षमता ने उन्हें एक सुंदर सपने की दुनिया में ले जा दिया।
हीना के बच्चे सोते समय बहुत खुश और सुरम्य थे। वे ठंड में सूरज की किरणें देख रहे थे और पूरे गाँव में मित्र और खेलने के लिए ढ़ेर सारे जानवर विचरण कर रहे थे। हीना उन्हें इस बात का संदेश देना चाहती थी कि अच्छा सुनने की क्षमता सबसे बड़ा गुण है। वह कहना चाहती थी कि बच्चों को हमेशा अपनी सुनने की शक्ति को मजबूत रखना चाहिए। जब तक वे अन्यों की बातें सुनने में सक्षम रहेंगे, उनका जीवन सुंदर और प्रगाढ़ ही रहेगा।
इस खुबसूरत कहानी से, हिना के बच्चे सही बात समझने और सुनने के महत्व की पहचान करते हैं। वे जानते हैं कि इस सुनने की क्षमता के बल पर वे एक अच्छा भविष्य बना सकते हैं। तो दोस्तों, अब यह कहानी सुनकर अगर हमें अपनी माँ-बाप की सुनने की बातें समझी हो तो, हमें भी विश्वास होगा की हम अपने जीवन में कुछ बड़ा कर सकते हैं। हमेशा अच्छे बिना सुने, सभी बातें समझ कर उनका पालन करना चाहिए। यही हमें अच्छी और सफल जिंदगी देगा।
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